बहु भागीय सेट >> ब्रज भूमि की लोक कथाएँ - 2 भागों में ब्रज भूमि की लोक कथाएँ - 2 भागों मेंलालबहादुर सिंह चौहान
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ब्रज भूमि की लोक कथाएँ...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
दो शब्द
प्रस्तुत पुस्तक ‘ब्रज भूमि की लोककथाएँ’ में मेरी उन कहानियों का
संकलन है जो मैंने अपने बाल्यकाल में अपनी नानी, माँ और फूफू से सुनी थीं।
वे मुझे ज्यों की त्यों ब्रज की बोली में आज भी पूर्ववत याद रहीं हैं।
उनमें से मेरी कुछ लोकथाओं का आकाशवाणी के दिल्ली केन्द्र से देहाती
प्रोग्राम में समय-समय पर प्रसारण भी गत वर्षों हुआ।
वास्तव में आधुनिक संघर्षपूर्ण युग में समाज के स्वर्णिम भविष्य का दायित्व उन बालकों के कन्धों पर है जो अपनी युवावस्था में समाज व राष्ट्र के निर्माता बनेंगे। आज के बालक ही कल पृथ्वी को स्वर्ग के समान सौंदर्यमयी बना सकेंगे। ‘ब्रज भूमि की लोककथाऐं’ निश्चित रूप से बालकों व किशोरों को मनोरंजन, हास्य एवं आनन्द प्रदान करने के साथ-साथ प्रमुखतः उनका बौद्धिक विकास में भी अवश्य सहायक सिद्ध होंगी, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है। पढ़ते समय रोचकता, कौतूहल तथा जिज्ञासा पाठकों के मन में निरन्तर बनी रहे और वह कल्पना एवं मन-तरंग की सहायता से ज्ञान, सौंदर्यानुभूति, नैतिकता तथा आनन्द की ओर अग्रसर होते रहें, इसके लिए बराबर प्रयास-रत रहाँ हूँ।
आशा है पाठक इसे उदारता और आत्मीयता से अपनायेंगे।
वास्तव में आधुनिक संघर्षपूर्ण युग में समाज के स्वर्णिम भविष्य का दायित्व उन बालकों के कन्धों पर है जो अपनी युवावस्था में समाज व राष्ट्र के निर्माता बनेंगे। आज के बालक ही कल पृथ्वी को स्वर्ग के समान सौंदर्यमयी बना सकेंगे। ‘ब्रज भूमि की लोककथाऐं’ निश्चित रूप से बालकों व किशोरों को मनोरंजन, हास्य एवं आनन्द प्रदान करने के साथ-साथ प्रमुखतः उनका बौद्धिक विकास में भी अवश्य सहायक सिद्ध होंगी, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है। पढ़ते समय रोचकता, कौतूहल तथा जिज्ञासा पाठकों के मन में निरन्तर बनी रहे और वह कल्पना एवं मन-तरंग की सहायता से ज्ञान, सौंदर्यानुभूति, नैतिकता तथा आनन्द की ओर अग्रसर होते रहें, इसके लिए बराबर प्रयास-रत रहाँ हूँ।
आशा है पाठक इसे उदारता और आत्मीयता से अपनायेंगे।
डॉ. लालबहादुर सिंह चौहान
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